Aliya khan

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कुछ दर्द अपने से





मुस्कुराती रहती हूँ इस का मतलब ये तो नही है ना मुझे कोई गम नही दर्द समेटती हूँ हर रोज़ इतने खुशियों की भी आस नही फिर भी ये सितमगर सनम की जैसे झांकते ही रहते है ! मेरी जिंदगी में , चोली दामन का साथ बन गया अब तो हम दोनों का एक मिनट को मेरे पास नही होते ये दर्द तो मुझे ही बेचैन कर देते है ! इस दुनिया की भीड़ में अब तो ये ही  बस अपने  से लगते है ! जो कहते थे कभी हम तेरे है साथ उम्र भर निभाएँगे ,वक़्त की अँधियो में वो भी कही खो से गए है देखो अगर उनके पदचिन्हों की चाप तो वो भी कही धुँधली नज़र आएगी ! 

वक़्त ने सभी तस्वीरों को आँखो से ही ओझल कर दिया है रह गई है तो बस उनकी कसक वो भी ऐसी को जब भी याद आती है रूह तक तिलमिला जाती है ! 

पर कभी कभी सोचती हूँ शायद अच्छा ही है खुशियां तो पल भर साथ देकर सालों के लिए मुझ से रूठ जाती है पर एक दर्द ही मेरा एक मात्र सहारा है जिस ने कभी भी मेरा साथ नही छोड खुशी में भी मेरा साथ दिया गया नही मुझसे दूर एक पल के लिए भी ! 

मेरी तो दोस्ती सी हो गयी है मुझे ही समझता रहता है ये दुनिया फरेबी है इनके बहलावे में तू क्यों उलझ जाती है कुछ पल के लिए आते है हजार गम दे जाते है आहत होती रूह रोती रह जाती है मेरे पास ही रह कर न पर तु सुनती ही कहा है मै तो चाहता हूँ जितना है दर्द तेरे पास ये क्या कम है मेरा ही बोझ बढ़ाती है और खुद गहरी खाई में गिर जाती है ! 

मै तो दर्द हूँ मुझे कम या ज्यादा से फर्क नही पड़ता पर जब भी तुझे देखता हूँ एक पल को में भी सहम जाता हूँ मेरे भी अश्क़ निकल ही जाते है तेरे लिए मत फंस इस दुनिया की भूलभुलैया में ये एक ऐसा दलदल है इसमे से कोई बाहर नही निकल पाया है प्यार कब धोखा दे जाए नही पता दोस्त कब दुश्मन बन जाये नही पता ओर ये परिवार जिसको अपना कहती नही थकती है ना तू कब आँखे तले ही तुझ को रौन दे नही पता ! 

तुझे हल्की सी भी ठेस लगती है ना तो मुझे ही तकलीफ होती है तुझ से ज्यादा , पता नही कब तू ये बात समझेगी बस ये ही आशा करता हूँ तुझे जल्द ही समझ आ जाए ! 

जानती हूँ सब जानती हूँ पर क्या करूँ मैं औरों जैसी नही हूँ न दिल मेरा पिघल ही जाता है ये सोचती हूँ कभी तो मुझे समझेंगे कभी तो मेरी याद आया करेंगे  चाहे काम के लिए ही सही मेरी एहमियत को ये दुनिया भी मानेगी आज नही कल मेरी हस्ती को पहचानेंगी ! माना किसी की आँखों मे आज किरकिरी बन कर चुभती हूँ पर कभी तो वो दो नैना नीर बहँगे ! ये दुनिया मुझे क्या सिला देगी , मुझे तो बस अपना कर्म निभाना है फल की प्यास नही मुझे अल्लाह को मुँह दिखाना है ! अपना बना कर साथ छोड़ दूँ ये मेरी फितरत नही आये कोई भी तूफान पीछे हटना मैने कभी सिखा नही ! 

ऐ दर्द मुझे बस इतना है तुमसे कहना 
टूट अगर जाऊँ तुम मुझको सम्भाल लेना ! 
बिखर जाए  जब भी मेरी दुनिया 
हाथ दे कर अपना गले मुझको तूम लगा लेना ! 


समाप्त 

आलिया खान 

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27 Comments

अति सुन्दर

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Abhinav ji

25-Jul-2022 08:04 AM

Very nice

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Khushbu

24-Jul-2022 03:46 PM

बहुत ही सुन्दर

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